Tuesday, 19 July 2011

ये दर्द कैसा?

ये दर्द कैसा मैंने है ले लिया
जब से दिल ये तुझको है दे दिया
आंसू छिप से गए है झूटी मुस्कुराहटों  में
और जो ग़म है इस दिल का वो किसी को न दिखने पाया है
न जाने दर्द कैसा मैंने है ले लिया
जब से दिल ये तुझको है दे दिया

अल्फाजों की कमी पड़ जाती है
जब भी इस दिल को याद तेरी तडपती है
होने लगी है यारी अंधेरों से, दोस्ती की है मैंने सन्नाटों से
और पल में दुश्मनी हो गयी है दुनिया वालों से
न जाने दर्द कैसा मैंने है ले लिया
जब से दिल ये तुझको है दे दिया

खामोश सी रातें प्यारी लगती हैं
मगर आपकी चुप्पियाँ हमे डंसती हैं
एक नशा सा हमे है हो गया
ये जहा हमसे खफा है हो गया
न जाने दर्द कैसा मैंने है ले लिया
जब से दिल ये तुझको है दे दिया!

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